आज के वचन पर आत्मचिंतन...

यह एक चुनौती भरा वचन है, है ना ? हममे से हर एक अपने हृदय को परमेश्वर के समर्पित कर, अपने पुराने व्यक्तित्व को मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ा कर मसीही बने है(रोमियो ६:६)। यीशु हमे स्मरण दिलाते है की यह समर्पण हम मे से हर एक को हर रोज़ करना चाहिए(लुक ९ :२३)। परमेश्वर के अनुग्रह के बदले मे हमे चाहिए की हम अपने पुराने पापी जीवन को हर रोज़ अलग कर यीशु के लिए जिए, जब हम इस नव वर्ष की शुरवात कर रहे है, आओ हम यह आत्मिक आदत बनाए की हम खुदको विवेक के साथ प्रभु को सौपे और यीशु की प्रभुता के अधीनता मे आनंदसे प्रति दिन जिए।

मेरी प्रार्थना...

पवित्र और सर्वशक्तिमान परमेश्वर मै आपको आदर देना चाहता हूँ और शैतान की परीकछाओ पर ध्यान नहीं देना चाहता हूँ। कृपया अपने आत्मा की समर्थ मुझे दे और मेरे ह्रदय को अपने अनुग्रह से काबू करले जिससे मैं खुद को प्रति दिन आपके प्रति जीने लिए समर्पित करता हूँ। यीशु के नाम से मै प्रार्थना करता हूँ। अमिन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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