आज के वचन पर आत्मचिंतन...
हम आप ही खुदको पुनःनया नहीं कर सकते। हम खुद को भ्रष्ट करने वाले प्रभाव से बचा सकते है । हम खुदको परमेश्वर को सौप सकते है और उसकी बेहतर इच्छा को परख सकते है (रोमियो १२:१-२)। अंततः,वैसे भी, हमे चाहिए की हम प्रति दिन खुद परमेश्वर द्वारा ही पुनःनये किये जाये, ना की केवल उस दिन जब हम बचाये गए थे। केवल परमेंश्वर का अनुग्रह ही है जो हमे बनाये रखता, समर्थ देता और पुनःनया कर सकता है । आइये हम खुद को उसे सौप दे। फिर,आओ हम हियाव कर उसके अनुग्रह को मांगे की उससे समर्थ पाए, सिद्ध हो और पुनःनया हो जाए!
Thoughts on Today's Verse...
We cannot renew ourselves on our own. We can guard ourselves against corrupting influences. We can offer ourselves to God and come to discern his will more fully (Romans 12:1-2). Ultimately, however, God himself must do the renewing, not just when we are saved, but daily. Only God's grace can sustain, empower, and renew us. Let's offer ourselves to him. Then, let's confidently ask for his grace to empower, perfect, and renew us!
मेरी प्रार्थना...
पिता, मैं आपसे अनुग्रह मांगता हूँ की आप मुझे नया करे, मेरे नजरिये को जो चीजो के प्रति है बदल दीजिये, और विशेष करके लोगो के प्रति मेरे नजरिये को। कृपया मेरे ह्रदय को साफ़ करे, और मेरे मन व आत्मा में मुझे नया कीजिये। मैं आपके प्रेम को बाटते हुए,आपके आत्मा की सामर्थ पाकर,और आपके अनुग्रह के प्रति जागृक होकर इस आनेवाले वर्ष के प्रत्येक दिन जीना चाहता हूँ। प्रार्थना यीशु के नाम से मांगता हूँ । अमिन ॥
My Prayer...
Father, I come to you asking for your grace to make me new in the way I look at things, especially how I view people. Please cleanse my heart and make me new in my mind and my spirit. I want to live each day of this coming year sharing your love, empowered by your Spirit, and aware of your grace. In Jesus' name I pray. Amen.