आज के वचन पर आत्मचिंतन...

येरुशेलम के विनाश की राख में से और वे विपत्तियां जो पेरमवेश्वर के लोगो पर गिरी क्योंकि वे बार बार अनाज्ञाकारी रहे इस कारन से यह सत्य की याद बन कर आयी है । जो लोग प्रभु पर धीरज के साथ बाट जोहतें है और जो निरंतर उत्साह के साथ आशा रखते है वे अपने मन की अधिक जरूरते पाते है ।

मेरी प्रार्थना...

हे परमेश्वर,उस समय के लिए मुझे धीरज और विस्वास दीजिये, जब जिंदगी कठिन लगती हो और साब कुछ मेरे खिलाफ हो रहा हो। यह मेरा विश्वास है की जो दृढ़ रहता है और जो धीरज से आपके पराक्रमी छुटकारे की उम्मीद से बाट जोहता है, उनके लिए आप भले हो। प्रिय पिता, मुझे कृपया कर इस प्रकार सामर्थी बना, इसलिए की मैं ना केवल अशिषे पाना चाहता हूँ पर आपके लिए आदर भी लाना चाहता हूँ। प्रार्थना आपके पुत्र यीशु के नामसे। अमिन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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