आज के वचन पर आत्मचिंतन...
"काश की मेरा कोई दोस्त ही होता।" "काश की मेरे पिता मुझे छोड़कर नाही जाते।" "काश की वह थोड़ीसी ही सहयोगी होती।" "काश की....." लोग हमे निराश करेंगे, फिरभी हम अपनी कई सारी उम्मीदे उनसे लगते है ।वे हुमरिही तरह गिरने सकनेवाले और नाशवान है। तो जबकी हम औरो के जीवन का हिस्सा है, तो हमे परमेश्वर के पुत्र पर भी भरोसा जोडे रखना जरूर याद रहे, "जिसने मृत्यु को हराया और अनंतजीवन लाया और जीवन को ज्योति में लाया" और जो "ना कभी हमे छोड़ेगा और ना कभी त्यागेगा"।
मेरी प्रार्थना...
प्रिय पिता, मुझे माफ़ कर, की जब भी मैंने अपनी भलाई और अपनी ख़ुशी के लिए किसी विषेश झुण्ड द्वारा स्वीकारित होने लिए या किसी एक व्यक्ति के द्वारा प्रेम पाने की उम्मीद लगाई हो। मैं जानता हूँ की मेरी आखरी उम्मीद केवल यीशु में ही पायी जाती है, जिसके नामसे प्रार्थना मांगता हूँ। अमिन ।