आज के वचन पर आत्मचिंतन...
न्यायी, शांति, वृद्धि, अनुग्रह आशा और महिमा — क्या ही अद्धभुत तोफों का संग्रह है! यह हरएक तोफे हमारे है एक के कारण — एक कारण, एक व्यक्ति, और एक प्रभु : यीशु मसीह, परमेश्वर का पुत्र और हमारा उधारकर्ता।
Thoughts on Today's Verse...
Justified, peace, access, grace, hope, and glory — what a wonderful collection of gifts! Each of these gifts is ours because of One — One reason, One person, and One Lord: Jesus Christ, the Son of God and our Savior. Our faith in Jesus opens the door for us to rejoice in our assured hope of sharing in God's glory. In troubling times, this hope is precious. In good times, this hope promises us even greater things. In every circumstance, this hope can empower us to live for Jesus.
मेरी प्रार्थना...
मैं आपकी स्तुति करता हूँ प्रभु यीशु, उस सब के लिए जो आपने मेरे लिए किया है कि मुझे अपने उद्धार कि आशीष दे सको। मैं आपकी स्तुति करता हूँ, प्रभु यीशु , आपके लौटकर आने के वादे और अपनी महिमा में हिस्से का आमंत्रण देने के लिए। उस दिन कि गति को बढाईये और अपनी सेवा के लिए मुझे शुद्ध कीजिये! प्रार्थना यीशु के नामसे करता हूँ। अमिन।
My Prayer...
I praise you, Lord Jesus, for all that you've done to bless me with your salvation. I praise you, dear Lord, for your promise to return and invite me to share in your glory. Speed that day and purify me for your service. In the name of Jesus I pray. Amen.