आज के वचन पर आत्मचिंतन...

न्यायी, शांति, वृद्धि, अनुग्रह आशा और महिमा — क्या ही अद्धभुत तोफों का संग्रह है! यह हरएक तोफे हमारे है एक के कारण — एक कारण, एक व्यक्ति, और एक प्रभु : यीशु मसीह, परमेश्वर का पुत्र और हमारा उधारकर्ता।

मेरी प्रार्थना...

मैं आपकी स्तुति करता हूँ प्रभु यीशु, उस सब के लिए जो आपने मेरे लिए किया है कि मुझे अपने उद्धार कि आशीष दे सको। मैं आपकी स्तुति करता हूँ, प्रभु यीशु , आपके लौटकर आने के वादे और अपनी महिमा में हिस्से का आमंत्रण देने के लिए। उस दिन कि गति को बढाईये और अपनी सेवा के लिए मुझे शुद्ध कीजिये! प्रार्थना यीशु के नामसे करता हूँ। अमिन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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