आज के वचन पर आत्मचिंतन...

आप क्या उत्तपन करने के लिए जी रहे हैं? दौलत,शोहरत,प्रतिष्ठा,महत्वता ,एक विरासत? चरित्र के बारे में क्या सोच ते हो! क्या हमारे जीवन का वास्ताविक लक्ष्य परमेश्वर के चरित्र पाना नहीं है? तो हमारे सबसे बदतर समय में भी,अगर हम चरित्रवान लोंग बन सके, तब हमसे उस लक्ष्य को कोई नहीं चुरा सकता, जो परमेश्वर का चरित्र है, मसीह यीशु मै हमने पाया।

Thoughts on Today's Verse...

What are you living to produce with your life?

Wealth, fame, status, significance, legacy?

How about character?

Isn't having the character of God our real goal in life?

Perseverance, character, and hope can help us forge a stronger faith as we live for Jesus under the pressure and heat directed at us from the evil one and his demonic forces of evil. Even in our suffering, hardships, and persecution, nothing can steal our desired goal from us — developing the character of God as we live for Jesus through the power of the Holy Spirit are transformed to become JESUShaped (2 Corinthians 3:17-18).

मेरी प्रार्थना...

प्रिय पिता,कृपया मुझे आशीश दे ताकि मुश्किल समय्यो में बलवान हो सकू, और पवित्र चरित्र में लगातार बना रह सकू। कृपया मुझे हिम्मत और करुणा का दिल दे दीजिए ताकि मै अधिक स्पष्ट रूप से दूसरों को याद दिला सकू की आप किस प्रकारके हो और आप उनके जीवन में क्या कर सकते हो कमसकम किन्ही छोटे तरीकों से ही सही। प्रार्थना यीशु के नामसे। अमिन।

My Prayer...

Dear Father, please empower us as we seek to live consistently with your holy character in our fallen world. Please give us hearts of courage and compassion so we can more clearly demonstrate your grace and power as you transform us into disciples of courage, honor, and compassion. In Jesus' name, we pray. Amen.

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

Today's Verse Illustrated


Inspirational illustration of रोमियों ५:३-४

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