आज के वचन पर आत्मचिंतन...

आशा यह बहुत ही 'कमजोर' शब्द हो गया है वर्त्तमान शब्दकोष में। यह तो मुश्किल से ही नए नियम के वाक्यो के अर्थ कि एक पर्याप्त अनुवाद के रूप में योग्य है। जो हम विश्वास करते है आशा इस बात कि निश्चिता है कि हो जायेगा। हमे इसे आत्मिक आत्माविश्वास भी कह सकते है। सिर्फ एक इच्छा से बढ़कर, सिर्फ एक भावना से बढ़कर, सिर्फ एक विश्वास से बढ़कर भी हमारे दिलो में वास करता है इस लिए यह हमारा आत्मिक आत्माविश्वास है; परमेश्वर खुद हममें रहता है पवित्र आत्मा के द्वारा। जब हम मसीही बने, परमेश्वर अपनी आत्मा को हम उंड़ेलदेता है(तीतुस ३:३-७) परमेश्वर के भेट स्वरुप(प्रेरितो के काम २:३८ ; प्रेरित के काम ५:३२) हमे शुद्ध करने के लिए (१ कुरिन्थियों ६:११)हमे उसी शरीर का भाग बना (१ कुरिन्थियों १२:१२-१३) हमारे भीतर जिओ (१ कुरिन्थियों ६:१९-२०) परमेश्वर कि उपस्तिथि जो हमारे भीतर है उस में से पौलुस आशीषो कि सूचि में एक और बात जोड़ता है — परमेश्वर का प्रेम। यह सिर्फ हमारे पास है ही नहीं ; परमेश्वर पवित्र आत्मा द्वारा ताज़ा करते रहते है, जैसे कि यीशु वादा किए था।

मेरी प्रार्थना...

पवित्र और, सर्वशक्तिमान परमेश्वर,समर्थ में अध्भुत और पवित्रता में तेजस्वी,मैं धन्यवाद करता हूँ, की न सिर्फ आप यीशु मसीह के रूप में हमारे पास आये, लेकिन आपका धन्यवाद् इस लिए भी की आप आत्मा द्वारा हमारे अंदर रहते है। कृपया मेरे ह्रदय में अपने प्रेम को उंडेलिय ताकी अनुग्रह का फल मुझसे हो कर बहे उनतक जो मेरे आस पास है और जो मेरे आस पास सभी है मेरे द्वारा आपके अनुग्रह को जान जाये। प्रार्थना यीशु के नाम से। अमिन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

टिप्पणियाँ