आज के वचन पर आत्मचिंतन...

मजेदार बात यह है कि बाइबिल कभी भी केवल ये नहीं कहती कि परमेश्वर हमसे प्रेम करता है। वरन यह कहता है कि "उसने अपने प्रेम को साबित किया......" "इसमें प्रेम है, कि हमने परमेश्वर से नहीं परंतु परमेश्वर ने हमसे प्रेम किया और..... दिया ..." " क्योंकि परमेश्वर ने संसार से ऐसा प्रेम रखा कि उसने ......दे दिया...." प्रेम ,भावनाओ और नियत से भी अधिक है। सच्चा प्रेम, विमोचक प्रेम, परमेश्वर के तरीके का प्रेम सक्रिय होता है; वह कुछ करता है।हमारे लिए, यीशु ने कुछ से अधिक किया; उसने सबकुछ त्याग दिया। इससे अधिक अब क्या, उसने हमारे लिए तब ऐसा किया जब हमे इसकी अधिक जरुरत थी। उसने अपने प्रेम को हमपर प्रगट किया जब हम पापि ही थे।

मेरी प्रार्थना...

पिता मुझे प्यार करने के लिए धन्यवाद। मैं आपसे प्रेम करता हूँ। जो कच अपने मेरे लिए किया, मैं आपसे प्यार करता हूँ । आपके वादों के लिए मैं आपसे प्यार करता हूँ । आपकी विश्वासयोग्यता के लिए आपसे पैर करता हूँ।परंतु सर्वाधिक, प्रिय पिता ,मैं आपसे प्यार करता हूँ क्योंकि यीशु ने मुझे दिखाया कि आप मुझसे कितना प्यार करते है। कृपाया मुझे सामर्थ दे कि मैं अपने प्रेम को औरो को सेवा उर देने के द्वारा दिखा सकू यीशु कि ही तरह। उसके नामसे प्रार्थना करता हूँ। अमिन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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