आज के वचन पर आत्मचिंतन...
निराशा का यह भजन, क्रूस से जो यीशू द्वारा है, वह आशा और विशवास का भी भजन है। परमेश्वर के विश्वासयोग्यता का इतिहास जो उसके लोग इस्राएल के साथ है इस बात का लगातार समर्ण दिलाता है की हम उस पर भरोसा कर सकते है की वह हमे छुड़ाएगा। जबकि हमारे मानवीय गणना के आधार पर अगर हम समय देखे तो हो सकता है की हमे परमेश्वर का उत्तर देना धीरे लगे, पर उनके इतिहास के कामो का हिसाब लगाया जाये तो ये बाते याद दिलाती है की वह उत्तर देगा, छुड़ाएगा और अपने लोगो को अपने समय पर आशीष देगा । हमारे भयंकर बुरे स्वपनों किसी परिस्तिथियों में, हम समर्ण कर सकते है की परमेश्वर विश्वसयोग्य है और वह निराशा की, विलाप की, दुःख की,असहनीय तड़प की और डर की हमारी पुकार को सुनता है ।
मेरी प्रार्थना...
प्रिय पिता,मै ये मांगता हूँ, की ऐसे लोगो को जो खुदको हर जगह कठिन परिस्तिथियों में पते है आप आशीष दे! उन्हें अपनी आत्मा से समर्थ दे और वे उनकी गम्भीर परिस्तिथियों में बदलाव ला सके उन्हें ऐसी आशीष दे| कृपा कर अपने लोगो के रोने को सुन और उनके सुरक्षा, संरक्षण और पृष्टि के लिए तुरन्त कार्य कर। प्रार्थना येशु के नामसे करता हूँ| अमिन|