आज के वचन पर आत्मचिंतन...
प्रेम! वेलेंटाइन दिन के सफ्ताह में, हम प्रेम के असली मतलब को समझना चाहते हैं। बिना प्रेरणा और प्रेम के भाव, सभी "मसीही" कार्य ज्यादातर "कार्य" बनजाते है। प्रेम, मसीह के चरित्र का भाव हैं और हमारे जीवन में उसकी उपस्तिथि हैं जो हमारे द्वारा दुरसरो के जीवन में किये गए कार्यों में हैं । तो भावनाओं की राह पर अंतिम यात्रा में खो ना जाना । हम में से बहुतसे लोग रोज़ की लगने वाली आवश्यक प्रेम की मात्रा को भूल जाते हैं जो रोजमर्रा के संबंधों में खो जाते हैं । आओं प्रेम वाला वर्ष हो और अपने आप को येशु के चेले बन कर दर्शाओ । (यहून्ना १३:३४-३५)।
मेरी प्रार्थना...
स्वर्गीय प्रेमी पिता, येशु में आप के प्रेम के प्रदर्शन के लिए धन्यवाद। मेरी मद्दत कर की मैं भी उसके तरह प्रेम कर सकू. जैसा उसने किया -निःस्वार्थ, त्यागपूर्ण, और निरंतर, ताकि दुसरो मेरे कर्मो द्वारा आपकी प्रेम को जान सके। येशु के नाम से प्रार्थना करता हूँ । आमीन।