आज के वचन पर आत्मचिंतन...
हम गाते है की “ओ में कितना यीशु से प्यार करता हूँ!”. यीशु हमें जवाब देता है की हम कैसे हमारे भाइयो और बहेनो से प्यार करते है. येदी हम हमारे आस-पास के लोगो से प्यार नहीं कर सकते है तो हम परमेश्वर से प्यार कैसे कर सकते है.
Thoughts on Today's Verse...
"O how I love Jesus!" we sing. Jesus responds by asking how well we are doing with loving our brothers and sisters! We can't love God if we can't love those around us.
मेरी प्रार्थना...
प्रिय पिता मुझे क्षमा कीजिये ,उस समयो के लिए जब मेरे दिल में संकीर्ण-हृदय के लिए या जिसको मेरी दया चाहिए उनको क्षमा न करने के लिए मुझे क्षमा कीजिये.मैंने पहचाना है कि जब में मसीह में मेरे भाइयो और बहेनो के प्रति अप्रेमी रहता हूँ, तो मै आप से भी अप्रेमी हूँ. कृपया मुझे आशीष कीजिये जैसे में कुछ मसीही संबंधो को मेल-मिलाप कराता हूँ जो हल ही में ठीक नहीं गया. ये सुधरी हुई दोस्तियाँ आपकी महिमा लाने के लिए और कलिश्या में बड़ी जीवन-शक्ति लाने के लिए सहायता कीजिये.यीशु के नाम से प्रार्थना मांगता हूँ. अमिन.
My Prayer...
Forgive me, dear Father, for the times I have harbored pettiness in my heart or been unforgiving to those who needed my grace. I recognize that when I am unloving to my brothers and sisters in Christ, I am unloving to you. Please bless me as I work to reconcile some Christian relationships that have not gone well recently. Help these mended friendships to bring glory to you and vitality to your Church. In Jesus' name I pray. Amen.