आज के वचन पर आत्मचिंतन...

येशु के अनुयायिओं को आप कैसे पहचानते हो? आप मसीहों को कैसे खोजते हो ? येशु ने कहा की वे आपस में प्रेम करे जैसे उसने अपने चेलों से प्रेम किया । तुरंत सन्दर्भ में इसके मायने यह है की वह त्यागपूर्ण और बहुत अधिकाई से देने के लिए तैयार हैं क्रूस पर उनके लिए मरने द्वारा और उन्हें प्रेम करने के लिए स्वार्थहीन और व्यहवारिक रूपसे उनके पैरों को धोने के द्वारा । उसकी सेवकाई प्रगट करती हैं की वह कुछ भी करने के लिए तैयार हैं बहुत अधिकाई से और व्यवहारिक्ता के बिच में । सोचिये अगर हम सब सुसमाचार को पढ़े और एक दूसरों को प्रेम करने के लिए समर्पित हो जाये उसी तरीके से जैसे येशु ने अपने चेलों के साथ प्रेम को दिखाया !

मेरी प्रार्थना...

दया के पिता और सरे अनुग्रह के परमेश्वर, मुझे येशु के उदहारण के द्वारा प्रेम करना सीखने के लिए मैं आपका धन्यवाद् करता हूँ । होने दे की मेरे शब्द और कार्य लोगों के प्रति उसके प्रेम को दर्शा सकू आज, कल और जब तक आप हम सबको आपके पास घर नहीं बुलालेते हैं। मसीह के नाम से, मेरा महान उद्धरण, प्रार्थना करता हूँ । आमीन ।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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