आज के वचन पर आत्मचिंतन...
उसने पहले हम से प्रेम किया ! उसने अपने पुत्र को भेट किया हमे बचने के लिए उसके अनुग्रह पर विश्वास करने की या नजरअंदाज करने के हमारे निर्णय के बजाये। हमे उसके पुत्र के मृत्यु को हमारे पापों के बलिदान के तौर पर उसको ग्रहण करने की या तिरस्कारित करने की योग्यता हैं । बस एक शर्त हैं, जैसे १ योहन्ना २:१-२ जोर डालता हैं इस बात पर की, हम जानते हैं की वह सरे संसार के लिए भी मरा !
Thoughts on Today's Verse...
He loved us first! He offered his Son to save us regardless of our decision to believe or ignore his grace. We are given the ability to accept or reject the death of his Son as the sacrifice for our sins. The only condition, as 1 John 2:1-2 emphasizes, is that we realize that he died for everyone else in the world, too!
मेरी प्रार्थना...
बहुमूल्य राजा, सर्वसामर्थी परमेश्वर, क्यों आप मुझसे प्रेम करना चाहिए और येशु को मेरे लिए मरने के लिए भेजा मैं कभी भी पूर्णतः नहीं समझ सकूंगा । आपके प्रेम के लिए धन्यवाद् । मेरे पापों के लिए आपके बलिदान के लिए धन्यवाद । धन्यवाद येशु मुझे बचने आने के लिए । आपके नामसे और आपके मध्यस्तता के द्वारा मैं प्रार्थना करता हूँ। आमीन।
My Prayer...
Precious King, God Almighty, why you should love me and send Jesus to die for me I will never fully understand. Thank you for your love. Thank you for your sacrifice for my sins. Thank you Jesus for coming to save me. I pray in your name and by your intercession. Amen.