आज के वचन पर आत्मचिंतन...

हम इसे चाहते है की बहुत अधिक हमारा सत्य अंगीकार हो.हम अभी तक सोना नहीं बने हैं पर चाहते हैं । हम अभी तक पूर्णतः उसके पत्थचिन्हों पर नहीं चल रहे हैं पर कोशिश करते हैं। हम उस मार्ग से मुड़ना नहीं चाहते है पर हम चूक जाते हैं। जबतक शिष्यता के प्रति हमारे उद्देश्य और चाहते पूरी नहीं हो जाती, परमेश्वर का उसके अनुग्रह के लिए धन्यवाद हो!

Thoughts on Today's Verse...

How we long for this to be our true confession. We are not yet gold, but long to be. We are not yet fully following his steps, but are trying. We have tried to not turn aside, but we sometimes falter. Thank God for his grace until our intentions and desires are fulfilled in our discipleship!

मेरी प्रार्थना...

प्रतापी सृस्टीकर्ता और ब्रम्हांड को बाएं रखने वाले, मैं मेरे पापों को और आपके राहों पे अनुकरण करने में मेरी कमियों को मैं मानता हूँ। मुझे क्षमा कर की अब मैं अपने आपको आपकी सेवा के प्रति समर्पित करता हूँ पवित्रता और आनंद के साथ । धन्यवाद आपके अनुग्रह के लिए जो मेरे पापों को ढाँपता हैं और मुझमे येशु के चरित्रों को सिद्ध करता हैं । यीशु के द्वारा प्रार्थना करता हूँ । अमिन।

My Prayer...

Magnificent Creator and Sustainer of the Universe, I confess my sin and my inadequacy in following your paths. Forgive me as I commit my life to serve you in holiness and joy. Thank you for your grace which covers my sin and perfect in me the character of Jesus. Through him I pray. Amen.

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

Today's Verse Illustrated


Inspirational illustration of अय्यूब 23:10-11

टिप्पणियाँ