आज के वचन पर आत्मचिंतन...
परमेश्वर हमें जानते हैं। हम उसके साथ बनावटी बनकर नहीं रह सकते जो हम हैं नहीं। वह हमने अंदर बाहर से, आप पार से जानते हैं । यह हमें उसके साथ एक अनूठे मात्रा की घनिष्टता की छूट देना चाहियें, पर हुमेंसे कई इस प्रकार की करीबी सम्बन्ध अपने पिता के साथ बनाने से बचना चाहते हैं । यदि हमारी चाहत, फिरभी, और अधिक उस के सामान होने की हैं, तो एक मात्र तरीका हैं बदलाव का यह हैं की उस अपने हृदय में, हमारी धारणाएं, और इच्छायें देखने के लिए आमंत्रित करें।
मेरी प्रार्थना...
हे परमेश्वर मैं जनता हूँ की आप वो हो जो "दिलों को और मानों को खोजतें हो।" फिरभी क्योकि येशु में जो अनुग्रह आप मुझ पर दिखते हैं, मुझे आत्मविश्वास हैं की आप मुझसे प्यार करते हैं। मेरा हृदय माफ़ी चाहता हैं उन पापों के लिए जो मैंने किये हैं, पर मैं सच में आपकी सेवा आदर से और शुद्धता से करने की कोशिश कर रहा हूँ । कृपया मुझे अपनी आत्मा से भरे की मैं और अधिक मसीह के नाई बन सकू। आपके पवित्र पुत्र के नामसे प्रार्थना करता हूँ। अमिन।