आज के वचन पर आत्मचिंतन...
शुरुआत से पहले का समय! आपने यह कैसे जाना की वह कब था। परमेश्वर ने हमारे विषय में पहली बार तब सोचा जब का हम सोच भी नहीं सकते! हमारे विषय में सोचने के लिए उसका कारण था की वह अपने अनुग्रह को हमपर दिखा सके और दूसरों को उसकी और बुला सके। येशु हमेशा से परमेश्वर की योजना में था और हम हमेशा से ही उसके लक्ष्य थे। यह निश्चित करे की हम इस बात के द्वारा प्रतिउत्तर दे की हम उसका पवित्र जीवन जीए !
मेरी प्रार्थना...
बहुत धन्यवाद पिता, मुझे जानने के लिए और मेरे आवश्कयताओं के विषय में सोचने के लिए जब संसार भी नहीं था। मैं आज का दिन और आनेवाले सरे दिन आपके प्रति आदर में समर्पित करता हूँ की मैं अपना जीवन आपके धार्मिकता और अनुग्रह के प्रतिबिभ की तौर पर जीने की कोशिश कर रहा हूँ । येशु के नाम से जिसमे कोई पाप नहीं हैं, प्रार्थना करता हूँ । अमिन।