आज के वचन पर आत्मचिंतन...
हमारे जीवन में के बहुत से संघर्ष संजोग मात्र नहीं हैं। उनमेसे बहुतसे तो परमेश्वर की ओर से भी नहीं हैं। हमारे संघर्ष अधिकतर हमारे शत्रु शैतान के द्वारा आते हैं। वह हमेशा ताक में लगा रहता हैं की किसी तरह बेहतर युक्ति से हमे हमारे सम्बन्ध जो परमेश्वर के साथ उस में से गिरना चाहता है.। खुदको परमेश्वर के हांथों में स्थिरता के साथ रखना और उसके मलयुद्ध के हथियारों को इस्तेमाल करना हमें सहायता करेंगी की हम हमारे शत्रु को हरा सके जिसे पहलेसे ही येशु और क्रूस द्वारा लज्जित किया गया हैं ।
Thoughts on Today's Verse...
Many of the struggles in our lives are not mere accidents! Many of them are not put there by God. Our challenges often come from the hand of our enemy, Satan. He always prowls about looking for the best scheme to knock us out of our commitment to and relationship with the Lord. Placing ourselves firmly in the hands of the Lord and using his tools of warfare will help us defeat our enemy who has already been humiliated by Jesus and the cross.
मेरी प्रार्थना...
मुझे बल दे हे परमेश्वर की मैं मेरे शत्रुओं के सामने स्थिर खड़ा रह सकू और आपके आत्मा की समर्थ से जय पा सकू ताकि मैं आदर और महिमा अपने विजयी मुक्तिदाता को दे सकू जो एक दिन लौट कर आएंगे और जय के साथ मुझे घर ले जायेंगे । जो सफ़ेद घोड़े पर सवार हैं उसके नाम से प्रार्थना करता हूँ । अमिन।
My Prayer...
Strengthen me, O God, that I may stand against my foe and triumph by the power of your Spirit so that I may bring honor and glory to my conquering Savior who will return one day and take me home in victory. In the name of the victorious Rider on the White Horse I pray. Amen.