आज के वचन पर आत्मचिंतन...
वचन में कुछ विषय का टिप्पणीय,व्याक्या, या विस्तार नहीं चाहिए; उसे सिर्फ कहेना है और विश्वास करना है. में आपको इस छोटासा वचन को याद करने के लिए और आपकी दिल में छुपाने के लिये प्रोत्साहित करता हूँ, और संकट का समय में और आशीष का समय में भी आपका होटो से ये सरे वाचोनो को आने दीजिये.
मेरी प्रार्थना...
'ओह, बुद्धि और परमेश्वर के ज्ञान के धन की गहराई!... उनके लिए और उसके माध्यम से और उसे के लिए सब कुछ है. उसकी महिमा हमेशा के लिए बनी रहे!अमिन