आज के वचन पर आत्मचिंतन...
हम कौन हैं, और हमारे जीवन से हमारा क्या बनेगा और क्या महत्वपूर्ण कमाएंगें यह सब परमेश्वर के हांथों में हैं। हम उसकी आशीषों के बगैर अपने लिए टिकने वाला आदर नहीं पा सकते हैं। उसके आशीष और सुरक्षा के बिना हम भविषय को सुरक्षित और हमारी सुरक्षा नहीं पा सकते हैं । हरेक उपलभ्दीयों का और महिमा का नीव इस बात पर निर्भर हैं की हम अपने इच्छा से अपना जीवन उसके देखभाल में सौप दे।
मेरी प्रार्थना...
हे चट्टान, मेरे जीवन के गढ़,मैं अपने आपको आपकी देखभाल में देता हूँ । मेरे भविष्य का नियंत्रण अपने हाथों में लीजिये और अपनी महिमा के लिए मुझे इस्तेमाल कीजिये। आपमें ही मैं शरण लेता हूँ और आपकी सामर्थ पर निर्भर होता हूँ की मेरा दिन लाभदायक हो। येशु के बहुमूल्य नाम से प्रार्थना करता हूँ। अमिन।