आज के वचन पर आत्मचिंतन...
हमे और किसी दूसरे मनुष्य की जरुरत नहीं की वह हमारे लिए मध्यस्थता करे चाहे फिर वह कितना भी महान, धार्मिक, या विशेष ही क्यों न हो। उसके बच्चे होने के नाते यह जानते हुए की परमेश्वर ने खुद ही हमारे और उसके बीचमे एक मध्यस्थ उपाय किया हैं हम आज़ादी से उसके पास जा सकते हैं। वह मध्यस्थ ही केवल कलीसिया का सीर हैं और परमेश्वर के सन्मुख हमारे बदले में प्रधान याजक हैं। उसका नाम यीशु मसीह हैं और वह हमारा प्रभु, उद्धारकर्ता और भाई हैं।
मेरी प्रार्थना...
हे परमेश्वर आप ही मेरे ईश्वर हो और आप तक आने के लिए इतनी आज़ादी देने के लिए मैं आपकी स्तुति करता हूँ। मैं जनता हूँ की यदि मेरी सामर्थ पर निर्भर होना होता तो ना ही मेरे पास वह बल हैं और ना ही धार्मिकता की जिससे मैं आपके पास आऊं। फिर भी अपने अनुग्रह में आपने ना ही केवल मेरे पापों के लिए दाम का उपाय किया बल्कि आपने मेरे लिए एक मध्यस्थ का भी प्रबंध किया जो मुझे आपके पास पहुंचने में मेरी सहायता करे । यीशु, मैं आपको भी धन्यवाद करता हूँ, मेरे दाम को चुकाने के लिए और पिता के पास मध्यस्थ बनकर और मेरे लिए उनसे बातें करने के लिए ! धनयवाद यीशु, इस प्रार्थना को पिता को पहुंचाने के लिए जब मैं यह प्रार्थना यीशु के नामसे करता हूँ। आमीन।