आज के वचन पर आत्मचिंतन...
धार्मिकता ! यही वह हैं जो हम हैं । हम धार्मिक नहीं। नहीं, यह उससे भी बड़ा हैं। हम परमेश्वर की धार्मिकता हैं। हम उसकी गवाह हैं की वह सच में कैसा पवित्र, न्यायी, और अनुग्रहकारी हैं, क्योकि यीशु में हम उसकी धार्मिकता हैं!
मेरी प्रार्थना...
धन्यवाद सर्वसामर्थी परमेश्वर, मुझे धार्मिक बनाने के लिए अपने पुत्र के मृत्यु के लहू से । होने दे की लोगों को मुझे में आपके पवित्रता, न्याय और दया का प्रतिबिम्भ दिखाई पड़े जब मैं उनके साथ आपके अनुग्रह को बाँटता हूँ । मेरे पापों के लिए आपके बलिदान, यीशु के द्वारा मैं प्रार्थना करता हूँ। आमीन।