आज के वचन पर आत्मचिंतन...
यीशु सब कुछ था और हमारे लिए कुछ नहीं बन गया। फिर भी पृथ्वी के अधिक लोग जिनको बचाने वह आया था उसे नहीं जानते या उसे ग्रहण नहीं किये। भीड़ ने यह बस मान लिया की उसे जो मिला वह उसी के लायक था। कईयों ने पश्यताप भी नहीं किया। लिकेन कुछ तो बात थी इस त्यागपूर्ण कहानी के विषय में की कई वर्षों में दिल जीतें हैं और परमेश्वर के के भटकें हुए बच्चों को घर वापस लाएं हैं । घर वापसी की हमारी यात्रा में, हम उसे ना केवल हमारे उद्धारकर्ता के रूप में ही नहीं, बल्कि हमारे उद्धार के प्रति सेवक के रूप में भी पाते हैं।
मेरी प्रार्थना...
सर्वसामर्थी परमेश्वर, मेरे छुटकारे की आपकी योजना मेरी सांस थमा देती हैं। क्यों आपने अपने अनमोल पुत्र को लिया और ऐसे सामाजिक अपमान करवाया मैं कभी नहीं समझ पाऊंगा। लेकिन यह मैं जनता हूँ: आप मुझसे अनंत प्रेम से प्रेम करते हो और मैं अपनी सम्पूर्ण शक्ति से आपकी सेवा करूँगा आपके बलिदान के प्रति धन्यवाद में। आपके प्रेम के लिए धयवाद। मेरे प्रभु और उद्धारकर्ता,यीशु मसीह के नाम से प्रार्थना मैं करता हूँ। आमीन।