आज के वचन पर आत्मचिंतन...

जब एक बहुत ही सामान्य और असिद्ध आकर में क्रूस को देखा जाये तो वह एक उत्तेजित करने वाला चिन्ह है। हमारे लिए परमेश्वर का देह रूप धारण करना और हमारे बिच वास करना ही अविश्वसनीय रूप में काफी है। परमेश्वर का नाशवान देह की और मानवीय जरूरतों की कठनाईओ और चिंताओं से सम्बन्ध रखना सोच से परे है। परमेश्वर के लिए क्रूस के अपमान और अमानवीयता कोप सहलेना अध्भुत है। परंतु, येही सुसमाचार है। जो मूर्खता, कमजोरी और उतेजनीय देख पड़ता है उसी में हमे पुनर्निर्माण करने की और हमे असामान्य विश्वास के प्रति उत्साहित करने का समर्थ है। जब हम येशु के क्रूस और पुनुरुथान के पास आते है, हम उस असंभवता के पास आते है जो परमेश्वर के अनुग्रह से हम पर और हमे में सम्पन हुआ है। केवल परमेश्वर ही हमारे लिए इस रीती से उद्धार ला सकते थे।

मेरी प्रार्थना...

पवित्र और अनुग्रहकारी पिता, मैं जनता हूँ कि क्रूस कुछ लोगो के लिये मूर्खता है। मैं जनता हूँ की बहुत लोग जो क्रूस को पहनते है उसे आदर नही करते। लेकीन पिता, मैं कबुल करता हूँ कि मेरे लिए क्रूस पर मरने के लिये यीशु कि इच्छाशक्ति समर्थीरूप से कायल करनेयोग्य है और अद्भुतरीती से आश्वस्त करनेवाला है। इस प्रेम के तोफा के लिये और अनुग्रह के त्याग के लिये आपको धन्यवाद। येशु के नाम से मंगता हूँ। अमीन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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