आज के वचन पर आत्मचिंतन...
जब हम इस बात की ताक में हो की हम अपने विशवास को हमारे बच्चो, मित्रो, और विश्वास में हमसे जो आत्मिकता छोटे "बच्चे" है देना चाहते है, तो हमे पौलुस का उद्धारन समरण रखना चाहिए। उसने सत्य सिखाया; और जो सत्य उसे प्रकाशित हुआ और मिला उसने ओरो को भी पोह्चाया; उसने उस सत्य को अपने जीवन में प्रगट भी किया; फिर पौलुस ने उन लोगों को जिन्हें वे शिष्यता दे रहा था बुला कर उन्हें इस सत्य को अपने दैनिक जीवन में अभ्यास करना सिखाया । यह उन्हें परमेश्वर की उपस्तिथि को अपने जीवन में पूरणःथ अनुभव करने में सहायता करेगी और उस शांति को खोज पाएंगे जो परमेश्वर हमे देने की बड़ी चाहत रखता है।
मेरी प्रार्थना...
पिता, मेरी सहायता किजीये की मैं वचनों में और कार्यो में एक बेहतर शिक्षक बन सकु और उन्हें प्रभावित भी कर सकु वे जो मेरे चारो और है, जिस किसी को अपने मसिह जीवन में सहायता चाहिये उनके लिए, और मेरे परिवार मे से जो आपके अनुग्रह में बढ़ना चाहते है उनके लिए। यीशु के नाम से। अमीन।