आज के वचन पर आत्मचिंतन...

क्षमा! क्या ही मधुर और अनमोल भेट । जो हम सुधरने में, बनाने में और जिसका दाम चुकाने में असक्षम थे वह परमेश्वर ने येशु के द्वारा हमारे लिए किया। उसके साथ, हर एक भोर हमारे लिए एक नई शुरवात और बसंतऋतु का पुनर्जन्म हैं । परन्तु, क्या ही भयंकर दाम उसने यह हमे देने के लिए चुकाया!

मेरी प्रार्थना...

धन्यवाद् पिता, आपके दर्द के लिए और आपके पुत्र के लहू के लिए जो मेरे पापों का दाम हैं । मेरे पापों के दाम को हलके में लेने से मैं इंकार करता हूँ और आपके अनुग्रह के प्रति आभार में सारी जिंदगी आपकी महिमा के लिए जीऊंगा। उसके नाम से जिसने मेरे उद्धार के लिए सब कुछ बलिदान कर दिया प्रार्थना करता हूँ । आमीन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। phil@verseoftheday.com पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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