आज के वचन पर आत्मचिंतन...
हमारी आशा, हमारी मुक्ति और हमारी विश्वास की बुनियाद येशु मसीह का सुसमाचार है। यह सुसमाचार उस सुसमाचार के जैसा ही है जो प्रेरितो ने सुनाया था और प्रथम कलीसिया के विश्वासियो को पहुचाया था। संसार मे इतने पेचीदे और परस्पर-विरोधी विचारधारों के होने से, हमे चाहिए की हम फिर से येशु पर हमारे साधारण विश्वास और उसकी मृत्यु, गड़े जाने और पुनुरुत्थान को समरण करे । हमे चाहिए की हम अपने हृदयो से उन सारी कल्पनाओ और वे मुद्दे जो अधिकतर हमारी कलीसियाओं को विभाजित करते है और हमारी संगतिओ के तोड़ते है और उस पुराने भजन के शब्दो सुने " सिर्फ तेरे क्रूस को थामे राहु "। आज आइये येशु के साधारण सुसमाचार को याद करे और उसपर अपने जीवन का निर्माण करे।
मेरी प्रार्थना...
सर्वशक्तिमान और बहुमूल्य पिता, मैं आप से प्रेम करता हूँ। आपके अनुग्रह और प्रेम के प्रति अपने धन्यवाद् को प्रगट करने के लिए प्रारम्भ भी नहीं कर सकता, जो अपने इतने सामर्थी रूप से येशु मे मुझ पर प्रगट किया। मैं अपने आशा की बुनुयाद को जनता हूँ और वो नीव जिस पर मैंने अपने जीवन का निर्माण किया है वह आपके प्रिय पुत्र का सुसमाचार है। धन्यवाद मुझे इतना सरल, स्थाई और निश्चित कुछ देने के लिए। येशु के नामसे मैं प्रार्थना करता हूँ। अमिन।