आज के वचन पर आत्मचिंतन...
यीशु ना केवल मेंरे पापों के लिए मरा ; वह मेरे लिए जीता हैं । यंहातक, की वह अब भी परमेश्वर के दाहिनी हाँथ पर विराजमान होकर मुझे अपना करके घोषित कर रहा हैं (देखें १ योहाना २:१-२)। यदि वह मुझे बचाने के लिए मरने के लिए भी त्यार था, तो अब जबकि वह मृत्यु पर विजयी जीवन जी रहा हैं फिर वह क्यों कर कुछ भी रोक कर रखेंगा?