आज के वचन पर आत्मचिंतन...

यीशु ना केवल मेंरे पापों के लिए मरा ; वह मेरे लिए जीता हैं । यंहातक, की वह अब भी परमेश्वर के दाहिनी हाँथ पर विराजमान होकर मुझे अपना करके घोषित कर रहा हैं (देखें १ योहाना २:१-२)। यदि वह मुझे बचाने के लिए मरने के लिए भी त्यार था, तो अब जबकि वह मृत्यु पर विजयी जीवन जी रहा हैं फिर वह क्यों कर कुछ भी रोक कर रखेंगा?

मेरी प्रार्थना...

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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