आज के वचन पर आत्मचिंतन...
हमारे सबसे खराब प्रवृत्तियों बुराई के साथ बुराई चुकाने के लिए चाहते हैं,बावजूद के साथ बावजूद, संकीर्णता के साथ संकीर्णता, और घृणा के साथ घृणा के लिए ।परमेश्वर हमेशा अपने दुनिया,समाज,और रिश्तों में छुड़ाने का प्रभाव होने के लिए अपने लोगों से चाहता था।पौलूस रोम में ईसाइयों को याद दिलाया 'बुराई के साथ बुराई नहीं चुकाने के लिए।'(रोमियो १२:१७)यहाँ, परमेश्वर के बुद्धिमान व्यक्ति हमें एक ऐसी ही सच्चाई सिखाता है।प्यार, कठिन परिस्थितियों से दांत बाहर निकाल देता है, जबकि घृणा केवल कड़वाहट और नफरत की आग ऊपर बदल जाता है।हम लोगों को है कि दुनिया में एक अलग जगह छोड़ने वाले एक अलग तरह का लोग होने के लिए कहा जाता है।यह हमेशा आसान नहीं है, लेकिन यह हमेशा शक्तिशाली है।
मेरी प्रार्थना...
पिता,मैं कबूल करता हूँ कि जब में गलात करता हु वह मुझे गुस्सा दिलात है और में जवाबी हमला करने के लिए परीक्षा में गिरता हु.कृपया मेरे नीच चरित्र को निकाल दिजीये और अपने पवित्र आत्मा और प्रेम के द्वारा मुझे प्रेरण कर.प्रार्थना यीषु के नाम से मंगता हु.अमीन.