आज के वचन पर आत्मचिंतन...
कभी कभी जीवन जागरण की कुंजी साधारणतः "नरिनयपूर्ण होना" और परमेश्वर पर विश्वासयोग्यता से भरोसा करते हुए आगे बढ़ना की वह हमारी कर रहा हैं, बजाये इसके जो दिखाई दे और बहरी परिस्तिथि हो। दुःख के बजाये आशा में आनंद का चुनाव करना, यातनाओं के समय सनशीलता धीरज का चुनाव करना और प्रार्थना में विश्वासयोग्यता का चुनाव करना यह सब निर्णय हैं की पूर्णतः परमेश्वर भरोसा रखने का की जिसने यीशु को मारें हुओं में से जिलाया हैं वह हमारी परिस्ताथिंयों को भी बदलेंगे क्योकि वह हमारी आवाज़ को सुनता हैं।
मेरी प्रार्थना...
हे सामर्थी परमेश्वर, मुझ में सहस और स्थिर हृदय उत्पन कर की चाहे जो भी कठिनाई हो मैं आनंद को बांधे रख सकू । यह मैं आपसे मांगता हूँ आपके विश्वासयोग्य पुत्र के नाम से। आमीन।