आज के वचन पर आत्मचिंतन...
अनुशासन केवल हमारे लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है,लेकिन जो लोग हमारे कार्यों से प्रभावित हैं उनके के लिए भी है.तो अक्सर हम दूसरों पर हमारे व्यक्तिगत निर्णय के प्रभाव को ना काबिल समझते हैं।लेकिन परमेश्वर ने हमे एक प्रभावचक्र में प्रत्येक को रखा है और एक आशीर्वाद हमारे आसपास के लोगों पर मुक्ती का प्रभाव देने के लिये.मूर्खता को चुनना,धर्मी सुधार को अनदेखी करना,न केवल हमारे स्वयं के भविष्य को जोखिम में डालते है,परंतु दूसरों के भविष्य को भी।
मेरी प्रार्थना...
पिता,विनम्र कर और धीरे से मुझे ठीक करें।मैं जानता हूँ कि मैं कमजोर हूँ या नहीं हु मैं जहा आध्यात्मिकता में होना चाहता हूँ।मुझे अपनी आत्मा के साथ परिपक्व कर और अपने वाचन,अपने चरवाहों,और अपने अनुशासन के द्वारा मुझे सही कर।मेरी प्रभाव उन पर कर जो आपने चारों ओर रखा है।यीशु के नाम में प्रार्थना मंगता हूँ.अमीन