आज के वचन पर आत्मचिंतन...

भले और दयालु रहना — यह दो योग्यताएं काम ही दिखाई देती हैं| शायद यह इसलिए होता होंगे क्योकि हम गलत नायकों का सहारा लेते हैं | दुर्भाग्यवश यह दोनों योग्यताओं को कमज़ोरी के चिन्ह की तरह देखा जाता हैं न की ताकत की तरह | किसीको परमेश्वर की तरह क्षमा करने के लिए बहुत हियाव और समर्थ की आवशक्यता होती हैं | तो आईयें सामर्थी बने!

मेरी प्रार्थना...

पवित्र परमेश्वर, कोई भी तरीका नहीं हैं की जिससे मैं आप को पर्याप्त धन्यवाद् दे सकू उन बलिदानो के लिए जो आपने मुझे क्षमा करने के लिए किये हैं | मैं प्रतिज्ञा लेता हूँ की मैं और अधिक आपकी तरह बनूँगा: की उनके साथ जो मेरे विरोध में गलत करते हैं और अधिक करुणा और अनुग्रह से पेश आऊंगा | आज मैं आपसे मांगता हूँ की मेरे कड़वाहट को ————————— के प्रति जो हैं छोड़ने में मेरी मद्दत करे और इस व्यक्ति को अपने करुणा और अनुग्रह से आशीषित करे| येशु के उदाहरण के समर्थ के मैं मांगता हूँ | आमीन|

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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