आज के वचन पर आत्मचिंतन...
जो बुजुर्ग लोग हैं उन्हे आज की पश्चिमी संस्कृति में सम्मान नहीं मिलता हैं,जैसे "बुजुर्ग लोगो " को दुसरे संस्कृति में सम्मान मिलता है.बाइबिल बार-बार जो लोग धर्मी और हमारे पेहेले जा चुके हैं उन्हे सम्मानित करने कि अवस्क्ता को हमें याद दिलाती है,चाहे इस मार्ग के पीछे जो पिता है वह व्यक्ति शिक्षा को प्राप्त करने वाले शारीरिक पिता हो सकते है,या वह छात्र के शिक्षक थे जो ज्ञान की खोज में थे,किसी भी तरह से एक ही सिद्धांत है.हमें बहुत जानने की जरूरत है और जो लोग कई वर्षों से परमेश्वर की सेवा में है और खुद को बुद्धिमान और वफादार साबित किये है उनकी आवाज सुनकर बहुत कुछ सीखने कि अवसाक्ता है.
मेरी प्रार्थना...
प्यारे परमेश्वर और सर्वशक्तिमान पिता,मेरे जीवन में उन बुद्धिमान लोगो के लिये धन्यवाद जसने अपने ज्ञान और अपने अनुभव को मेरे साथ साझा किया है।कृपया उनकी मदद किजीये ये जानने के लिये कि मुझमें उनके प्यार का निवेशन और मार्गदर्शन को में कितना सहराना देता हुँ और मुझे भी दुसरो के प्रति वैसे करने के लिये सहायता किजीये. यीशु के नाम से प्रार्थना करता हूँ.अमीन.