आज के वचन पर आत्मचिंतन...
दो बातो में मैं निस्संदेह से भरोसा करता हूँ:१)परमेश्वर की शक्ति और पराक्रम , २)उनकी उपस्थिति में साझा करने में मेरी खुशी।मेरी सर्वश्रेष्ठ प्रयास हमेशा कम हो सकती,लेकिन परमेश्वर की कृपा अधिक से अधिक और मेरे सबसे अच्छे प्रयासों की तुलना में अधिक शानदार है!वो गुनाह से उनकी दया और अनुग्रह पर आधारित जब मैं उनके सामने खड़ा होऊनगा,कैसे मैं उसे एक आभारी दिल से प्रशंसा नहीं कर साकुंगा और उनकी महिमा में आमने-सामने देखने की आशा कर सकता हुँ?
Thoughts on Today's Verse...
Two things I trust implicitly: 1) God's power and might, and 2) my joy at getting to share in his presence. My best efforts will always fall short, but God's grace is greater and more glorious than my best efforts! The faultlessness that I have when I stand before him is based on his grace and mercy. How can I not praise him from a thankful heart and anticipate seeing him face to face in glory?
मेरी प्रार्थना...
पिता,आप अनुग्रही हो,आप महिमानीत हो, और आप ही केवल परमेश्वर हो! मेरे जीवन मे आप अपने रूपांतरित होने वाली आत्मा के द्वारा जो आपने किया है उसके लिये मे आपकी प्रशंसा करता हूँ.कृपया मुझे मजबूत बनाये और मुझे अपने ध्यान में रखिये।मुझे आपके उद्धार में आत्म विश्वास है आपकी महानता और दया से. मुझमें अपने उद्देश्यों को पूरा किजीये और बड़े आनन्द के साथ आपकी महिमा के सिंहासन के पास मुझे लायीये। यीशु के नाम से प्रार्थना करता हूँ.अमीन.
My Prayer...
Father, you are gracious, you are glorious, and you alone are God! I praise you for what you have done in my life through your transforming Spirit. Please strengthen me and keep me in your care. I am confident about my salvation because of your greatness and grace. Fulfill your purposes in me and bring me to your throne of glory with great joy. In Jesus' name. Amen.