आज के वचन पर आत्मचिंतन...

अनुग्रह है इसका मतलब यह नहीं की हम पाप को हलके में ले । हम पाप के प्रति मर गए जब हम ने खुदको मसीह के प्रभुता के अधीन किया था । हम न पाप , या उसकी समर्थ चाहीये की हम पर नियंत्रण रखे । हम येशु के उस भयानक दाम को जो उसने हमारे पापो को ढकने के लिए चुकाया है हलके में नहीं लेना चाहेंगे।प्रेरित पौलुस सभवता कठोर भाषा का उपयोग करते है ("किसी भी तौर पर नहीं !" यह अनुवाद को सधारण करने का तरीका है : " ईश्वर न करे !" "सोच से परे !" "घृणित बात !" क्या इससे अधिक और अचूक हो सकता है।) जो अनुग्रह से बचाये गए है, उनके लिए पाप परमेश्वर की इच्छा से खेलने से या एक दिव्या आज्ञा तोड़ने से अधिक है: पाप येशु के बलिदान जो उसने हमारे लिए किया उसको हलके में लेना है, पाप पिता के विरुद्ध विद्रोह है जिसने ने हमे अपने परिवार में शामिल करने के लिए इतना महंगा दम चुकाया है, और पाप परमेश्वर के दिल को तोडना है खुद के लिए आत्मघाती रह चुनने के द्वारा।

मेरी प्रार्थना...

पिता, धन्यवाद् आपके अतुल्य उदार अनुग्रह जो अपने मुझ पर क्रूस पर येशु की मृत्यु के द्वारा मुझ पर उंडेला है और उस उद्धार के द्वारा मुझे उससे मिला है । कृपया मेरे पापो के प्रति मुझे गृहनित कर दे । पवित्रता के लिए मुझे जोश दे और जो कीमत अपने चुकाई मुझे पवित्र करने के प्रति एक गहरा एहसास दे । येशु के नाम से प्रार्थना करते है । आमीन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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