आज के वचन पर आत्मचिंतन...
मुखौटों से भरी एक ऐसी दुनिया जहां कार्यों से ज्यादा लोगो के सोच और इरादों को श्रेय दिया जाता है। क्या पौलुस का अपेक्षा करना — धन्यवाद देना आपको ताज़ा नही करती की थिस्सलुनिकियों की कलीसिया के विश्वासियों का स्वाभाविक रूप से विश्वास, आशा, और प्रेम में बढ़ना कुछ विशेष कार्यों को अंजाम देगा: (1) विश्वास कार्य उत्पादन करता है। (2) प्रेम श्रम को प्रेरित करता है। (3) आशा धीरज को प्रेरित करती है। ये नए मसीही शिष्यत्व के तीन सद्गुणों को सहन करने में उत्कृष्टता प्राप्त कर रहे थे (1 कुरिन्थियों 13:13), और ये सद्गुण उन्हें उनके काम, परिश्रम और सहनशीलता की ओर ले जा रहे थे!
Thoughts on Today's Verse...
In a world that falls for facades and seems to give more credit for intentions than actions, don't you find it refreshing that Paul expects — and gives thanks — that the Thessalonian disciples' faith, hope, and love will naturally produce certain actions:
(1) Faith produces work.
(2) Love prompts labor.
(3) Hope inspires endurance.
These new Christians were excelling in the enduring three virtues of discipleship (1 Corinthians 13:13), and these virtues were leading to their work, labor, and endurance!
मेरी प्रार्थना...
उद्धार देनेवाले समर्थि परमेश्वर, मैं आपको विश्वासयोग्य जीवन, आशा और प्रेम के साथ सम्मान देना चाहता हूं। कृपया मुझे पुनर्जीवित करें और मुझे अपनी पवित्र आत्मा के साथ ताज़ा करें ताकि मेरा जीवन उन कार्यों से भरा हो जो आपकी कृपा और चरित्र को प्रेरित करते हैं। यीशु के नाम में मैं प्रार्थना करता हूँ। आमीन।
My Prayer...
Mighty God of deliverance, I want to honor you with a life of observable faith, hope, and love. Please revive and refresh me with your Holy Spirit so that my life will be full of the actions that your grace and character inspire. In Jesus' name, I pray. Amen.