आज के वचन पर आत्मचिंतन...
यह एक दूसरा तरीका है कहने का, "अपने पडोसी से अपने सामान प्रेम करो!" येशु हमारे बोझ को लेने और हमारे पापो के हर दाग़ और दर्द को हमसे दूर करने आया है ।( पढ़े यशायाह ५३ परमेश्वर के दुःख सहनीय सेवक के और भी जबरदस्त चित्रण के लिए जो इस कथन में लिखा है येशु के विषय में नए नियम में ।) वह अब हमसे मांगता है की हम छुटकारे में जिए, प्रत्याक्षी रूप में उनके प्रति जो हमारे इर्दगिर्द है । केवल प्रार्थना करना और यह पूंछना की हम कैसे आपकी मदत करे, इससे ज्यादा , हमे बुलाया गया है दुसरो की सेवा करने, सहायता करने और प्रभंध करने के लिए जो बोझ में है ।
Thoughts on Today's Verse...
This is just another way of saying, "Love your neighbor as yourself!" Jesus came to bear our burdens and carry away the stain and pain of our sin. (Read Isaiah 53 for a powerful description of God's Suffering Servant, a passage quoted in the New Testament in reference to Jesus.) He now asks us to live redemptively, in practical ways, toward those around us. More than just praying, or asking what we can do to help, we are called to serve, minister, and assist others who are burdened.
मेरी प्रार्थना...
पवित्र और दयालु परमेश्वर , कृपया मुझे आंखे दे की मै देख सकू, एक इच्छुक हृदय सेवा के लिए, और हाथ लोगो की मदत के लिए जो मेरी रह पर हो जिन्हे बोझ को उठाने की आवश्यकता है । येशु के नामसे मै प्रार्थना करता हूँ। अमिन ।
My Prayer...
Holy and merciful God, please give me eyes to see, a heart willing to serve, and hands ready to help the people in my path that need a burden lifted. In Jesus' name I pray. Amen.