आज के वचन पर आत्मचिंतन...

जयवंत से बढ़कर !क्या ही महान कथन है । मसीह में यह हम है :जयवंत से बढ़कर । कोई भी कठिनाई , शत्रु , शारीरिक विपदा, मृत्यु भी हमे येशु से अलग नहीं कर सकती।एक बार जो हमारा जीवन येशु से जुड़ गया , हमारा भविष्य उससे जुड़ गया ( कुलु ३:१-४)।

मेरी प्रार्थना...

सर्वसमर्थी परमेश्वर ,मैं नहीं जनता की आप को कैसे अधिक धन्यवाद दू । येशु में जो मेरा आत्मविश्वास है उसके लिए धन्यवाद्। आपके अनुग्रह की भेट के लिए धन्यवाद् । आत्मा के अंतनिर्वास के लिए धन्यवाद्। स्वर्ग के आपके वाचा के लिए धन्यवाद्। आपके प्रेम के लिए धन्यवाद् जिसने मुझे बचाया और फिर से बनाया भी। धन्यवाद् मुझे भरोसा दिलाने के लिए की मैं अकेला नहीं होऊंगा चाहे मुझे कुछ भी सामना करना पड़े । सर्व अधिक प्रभु धन्यवाद् की चाहे जो कुछ भी इस संसार में होता रहे कोई भी शक्ति मुझे येशु के प्रेम से नहीं उतार सकती है । मैं आपके साथ अनंत जीवन बिताने की बाट जोहता हूँ । येशु के नाम में धन्यवाद्। अमिन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

टिप्पणियाँ