आज के वचन पर आत्मचिंतन...
हम कितनी सारी भिन्न वस्तुओं के पीछे भागते हैं। केवल एक ही की आवश्कयता हैं। मुट्ठी भर रुपया होना, बड़ी सारी संपत्ति, और बहुत बड़ा नाम होना अधिक मायने नहीं रखता यदि तुम अपने अंतिम पते पर उधारकर्ता प्रभु के बिना ही चले गए। इससे भी बुरा यह होगा की अपनी व्यस्तता के बिच, जब जागो तो खुदको बंजर भूमि पर पाओं जंहा मसीह वास नहीं करता और जंहा जीवन पाया नहीं जाता। आइयें हम अपना जीवन, अपना प्राण, अपने मायने न खोएं, जो चिरस्थायी नहीं हैं उसके पीछे बहगने में।
मेरी प्रार्थना...
पिता, मेरी सहायता करे की मैं अपनी प्राथमिकताएं सही रखूं, मेरा जीवन पवित्र और अपने हृदय को आपके प्रति खुला रखूं बजाएं इसके की अपनी खुदगर्जी में अँधा हो जाऊ। येशु के बहुमूल्य नाम से प्रार्थना करता हूँ। आमीन।