आज के वचन पर आत्मचिंतन...

कई बार आज, हम उनकी बुद्धिको काम आकंते है जो हमे से पहले आये है और जो हमारे साथ उस एकत्रित बुद्धि को बाटना चाहते है जो उन्हें उनके पुरखो से प्राप्त हुई है ।आइये आनेवाले कुछ हफ्तों में विशेष तौर पर उन पर ध्यान केंद्रित करे जो हमसे बुजुर्ग है और खुद को विश्वास में साबित किये है । और साथ ही अपने बचो को और नाती पोतो को स्मरण दिलाये की आज्ञाकारिता परमेश्वर के लिए कितनी महत्वपूर्ण है , विशेष तौर पर आज्ञाकारिता अपने माता पिता के प्रति।

मेरी प्रार्थना...

प्रिय स्वर्गीय पिता , माँ आपसे माफ़ी चाहता हूँ उन समायो के लिए जब मै अपने माता पिता के शब्दों और बुद्धि के प्रति सही से आदरणीय नहीं था । मेरे प्रति उनके प्रेम के लिए और तेरी रहो पर मुझे अगुवाई करने की उनकी इच्छा के लिए मै आपका धन्यवादी हूँ । कृपया अपने अनुग्रह से उन्हें आशीषित कर और मुझे भी आशीषित कर की मै तेरी इच्छाओ पर आज्ञाकारिता से चल सकू । येशु के नाम से प्रार्थना करता हूँ । अमिन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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