आज के वचन पर आत्मचिंतन...
धार्मिकता हमे महान आशीष लेती है । हिंसा खुद अपना घिनौना परिणाम बन जाता है, उनके लिए जो दुसरो पर उसका उपयोग करते है । तो हमारा चुनाव क्या है ? आशीष या हिंसा ? उत्साहित या अभद्र वचन ? तो असल चुनाव क्या है ? की परमेश्वर को हम चरित्र को परिभाषित करने दे न की किसी मनुष्य को नहीं ।
मेरी प्रार्थना...
पिता, मै आपका जीवन जीना चाहता हूँ की आपको खुश कर सकू, की आपके राज्य में आशीष ला सकू , और औरो को ये अहसास दिलाने में मद्दत कर सकू की हिंसा उनके खुदके लिए , औरो के लिए , और छोटे बच्चो के लिए भी नुकसानदाई है । येशु के नाम से प्रार्थना । अमिन ।