आज के वचन पर आत्मचिंतन...

जो चीज़ें हमारे पास हैं, जहाँ हम रहते हैं, वो दोस्त जो हमारी ज़िंदगी में खुशियाँ लाते हैं, और वो परिवार जो हमें अपनापन और तरक्की देता है, इन सब को हम अक्सर हल्के में ले लेते हैं। ये सब हमें परमेश्वर का उपहार है। हम इनके लायक नहीं हैं। ये ना तो हमारे जन्मसिद्ध अधिकार से मिले हैं, और ना ही हमारी जाति के कारण मिले हैं। हम इन आशीर्वादों को कमा नहीं सकते, लेकिन इन्हें ज़रूर खो सकते हैं। परमेश्वर चाहता है कि हम आज्ञाकारी रहें, सिर्फ उसे खुश करने के लिए नहीं, बल्कि खुद की और अपने प्रियजनों की रक्षा के लिए भी। तो चलिए, अपने कार्यों को सुधारें और यीशु के लिए जिएं, अपने लिए नहीं।

मेरी प्रार्थना...

सर्वशक्तिमान और पवित्र पिता, कृपया मुझे मेरे पापों के लिये क्षमा कर दें। मैं उन्हें आपके सामने स्वीकार करता हूँ, और उन्हें करने के लिए मुझे पछतावा है। कृपया मुझे आशीर्वाद दें और मुझे शक्ति प्रदान करें क्योंकि मैं अपना जीवन आपकी ओर मोड़ना चाहता हूँ, आपके लिये जुनून के साथ जीना चाहता हूँ, और आपकी महिमा लाना चाहता हूँ। यीशु के नाम में, मैं प्रार्थना करता हूँ। आमेन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

टिप्पणियाँ