आज के वचन पर आत्मचिंतन...

मेरे कई मित्र है जो बातो में काफी बुद्धिमान है । जब कभी वे बोलते है, लोग बड़े ध्यान से उनकी बाते सुनते है, क्योकि उनके बोल हमेशा बड़ी बुद्धिमानी की, सही समय पर, और सुननेयोग्य होती है। उनके धर्मी जीवन और बड़े ध्यान से बोले गए बोल आशीषित और विकसित करती है हरकोई जो सुनता है। दूसरे लोग ऐसे भी होते है, जबकि, जो हर समय सबकुछ के बारे में बात करते है और थोड़ा या कुछ भी समय उसका अपने जीवन में अनुकरण करने में नहीं बिताते है । उनके शब्दों को नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है, जैसे की यह उनके खुदके सोच के इच्छाओ को सुनरहे हो ऐसे मुद्दों पर जिन के बारे में वे खुद नहीं जानते है ।

मेरी प्रार्थना...

पवित्र और बुद्धिमान खुदा, कृपया मुझे बुद्धि और स्वयंनियंत्रण की मेरा मुँह बंद रहे जबतक वह उनके के लिए फायदेमन्द न हो जिनसे मैं बात कर रहा होता हूँ । मेरी मद्दत कर की मेरी बाते दुसरो के लिए मद्दतगार और सत्य हो । येशु के नामसे मैं प्रार्थना करता हूँ । अमिन ।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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