आज के वचन पर आत्मचिंतन...

आपका सबसे महत्वपूर्ण पूंजी क्या है ; आपका धन या क्षमता ? मैं आपको नश्चित कर सकता हूँ की यह सवाल आपसे हजारो तरीको से पूछा जायेगा ; जायदा तर सम्भवता उस समय जब आप कमजोर होते हो । कदाचित मार्टिन लूथर ने कहा था की आखरी चीज किसी मनुष्य में जो बदल सकती है वह है उसका बटुवा । तो क्या आप थोड़े से धार्मिकता को चुनेगे अधिक दुष्ट की कमाई के बदले ? हाँ ....! एक चुटकी में कठिन सवाल। तो आओ इस चुनाव को अभी लेते है इससे पहले की परिस्तिथिया बदल जाये । परमेश्वर, उसका राज्य, उसकी इच्छा और उसकी धार्मिकता पहले आते है , है ना ?

मेरी प्रार्थना...

सर्वसामर्थी , रचिता और सब कुछ के मालिक , कृपया मुझे धार्मिकता के प्रति प्रेम और लालच और लुचपन के प्रति नफरत दे । मैं एक न बाटने वाले ह्रदय से आपकी सेवा करना चाहता हूँ जो किसी भी चुनाव के वास्तु मूल्य से डगमगा ना जाये । कृपया मेरी सहायता करे निर्णय लेने में जो आपकी इच्छा अनुकूल हो । अमिन ।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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