आज के वचन पर आत्मचिंतन...
प्रत्येक पीढ़ी का अपना खुदका प्राथमिक विश्वास होना चाहिए । परिवर्तन करनेवाले विशवस के लिए, ईश्वरीय मीरास पाने से और भूतकाल में किये गए ईश्वर के कार्यों की कहानियों से अधिक की आवश्यकता होती हैं । इसमें परमेश्वर के सामर्थ्यवान उपस्तिथि के नूतन अनुभव की जरुरत होती हैं!
मेरी प्रार्थना...
पवित्र परमेश्वर, आपमें मेरे विश्वास को और आपके प्रति मेरे प्रेम को, मेरे बच्चों में और दूसरे जवान विश्वासियों तक पोहचने में मेरी मद्दत करियें। इस से भी अधिक, अब्बा पिता, उन्हें अद्धभुत सामर्थ के अनुभव और व्यक्तिगत रीती से महान कार्यों और त्यागपूर्ण सेवकाईयों के द्वारा अनुभव लेने में सहायता करे। यह मैं येशु के सामर्थी नाम में प्रार्थना करता हूँ! आमीन।