आज के वचन पर आत्मचिंतन...

यीशु परमेश्वर का काम करने आए थे। वे परमेश्वर के पुत्र थे, परमेश्वर का मानव शरीर में साकार रूप (यूहन्ना 1:14-18)। वे परमेश्वर को प्रकट करने आए थे। यीशु आए, और बहुत से लोगों ने परमेश्वर की स्तुति की। वे इसलिए आए ताकि लोग परमेश्वर को देख सकें। क्या आप यीशु को जानते हैं? यदि जानते हैं, तो क्या आप उन्हें उतना ही अच्छी तरह जानते हैं जितना आपको जानना चाहिए? जैसा कि लूका ने हमें इस घटना में याद दिलाया, जब लोगों ने यीशु को हमारी दुनिया में काम करते देखा, तो उन्होंने कहा: "परमेश्वर अपने लोगों की सहायता करने आया है!" आइए आज हम भी अपनी दुनिया में परमेश्वर के काम को देखें और उन्हें अपनी उपस्थिति प्रकट करने के लिए हमें इस्तेमाल करने का निमंत्रण दें!

मेरी प्रार्थना...

हे कृपाशील पिता और अनन्त परमेश्वर, यीशु मसीह में अपने को, अपने प्रेम को, अपनी कृपा को और हमारे उद्धार को हमें प्रकट करने के लिए धन्यवाद। हम इस बात के लिए धन्यवाद करते हैं कि आप हमारे संसार में आए और हमें अपनी सन्तान बनाया। हे परमेश्वर, यीशु मसीह के नाम में सारी महिमा और स्तुति आपको ही प्राप्तहै।आमीन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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