आज के वचन पर आत्मचिंतन...

अंतिम दिनों में जीवित होने वाले हर विश्वासी — जवान और बुजुर्ग, पुरष और महिलाएं — यीशु मसीह में प्राप्त परमेश्वर के अनुग्रह द्वारा उनकी गवाहियों को देने के लिए जरुरी हैं की वे आत्मा — संचालित और आत्मा — समर्थपूर्ण हो। जैसे यीशु ने उसकी मृत्युं के पूर्व हमारे लिए प्रार्थना (यहून्ना १७:२० -२३), यदि हम चाहते हैं की संसार सचमे यह जाने की परमेश्वर ने अपने पुत्र को भेजा हैं की वह संसार को बचाएं, तो हमे लिंग भेद बाधाये और उम्र भेद बाधाये और रंग भेद बाधाओ के विरुद्ध एकता में खड़े होना होगा!

मेरी प्रार्थना...

सभी राष्ट्रों के परमेश्वर,कृपया सभी बाधाओ को गिरा दो जो हम अलग करते हैं और जो आपके अध्भुत ौनगृह के सन्देश को फीका करते हैं । अपनी आत्मा को हम पर उंडेलो और हमे अपने पक्षपातीपन के प्रति और स्वार्थीपन के प्रति कायल कर और उसे अपने श्रेष्ठ प्रेम से बदल दे। हमे क्षमा कर, मुझे क्षमा कर, जब मेरी अदूरदर्शिता और स्वार्थीपना यदि रुकावट बने एकजुट संसार के देखते समय जब कलीसिया यह घोषित करे, की यीशु प्रभु और उद्धारकरता हैं । यीशु के नाम से मैं प्रार्थना करता हूँ। अमिन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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