आज के वचन पर आत्मचिंतन...
विश्वासी होने के नाते हमारा लक्ष्य इस संसार में यह हैं की हम येशु मसीह की पूर्ण उपस्तिथि में परिपकव होना हैं, उसकी संघठित विश्वासियों की देह होने के द्वारा। यह चुनौतीपूर्ण लक्ष्य केवल तभी पूरा हो सकता हैं यहदि हम सत्य कहें— परमेश्वर की आत्मा प्रेरित सन्देश — और प्रेमी व्यहवार के द्वारा करें भी। हम कैसे अपेक्षा कर सकते हैं की परमेश्वर के प्रेम का सन्देश पहुंचे जिसने यीशु को भेजा, यदि हम us प्रेम को खुद जी नहीं रहे हो ?
Thoughts on Today's Verse...
Our goal as believers is to mature into the loving presence of Christ Jesus as his unified bodily presence in our divided world. This challenging goal can only be accomplished if we speak the truth — God's Spirit-inspired message (2 Timothy 3:16-17) — with an attitude of love (Ephesians 4:29-32). How can we expect to convey the message of God's love — the sacrificial love that sent Jesus to our world (John 3:16-17) — if we don't demonstrate and share that love ourselves?
मेरी प्रार्थना...
सर्वसमर्थी और तयाग करनेवाले परमेश्वर, मेरी सहयता करें की मैं अपनी सारी मलिनता और अनुचित व्यहवार को कैद कर लूँ और उन्हें आपके प्रेम में पहिना दू । मुझे पवित्र करनेवाली और बदलदेनेवाली पवित्र आत्मा की उपस्तिथि की आवशक्यता हैं और भी अधिक उपस्तिथ मेरे दैनिक जीवन में, इस लिए कृपया मुझे भरे और आत्मा के फल मेरे व्यहवार और कामों में और अधिक वास्तविक बनायें । प्रभु यीशु के नाम से मैं प्रार्थना कर्त हूँ। अमिन।
My Prayer...
Almighty and sacrificial God, please help me capture all my impure motives and ungodly attitudes and clothe them in your love. To do that, I need the purifying and transforming presence of the Holy Spirit even more powerfully present in my life each day, so please fill me and make the Spirit's fruit (Galatians 5:22-23) in my life more observable in my attitudes and actions. In the name of the Lord Jesus, I pray. Amen.