आज के वचन पर आत्मचिंतन...
हम ऐसे युग में जी रहे हैं जँहा बुजुर्गों को बाजु में सरका दिया जाता हैं। यह सत्य हैं कार्य क्षेत्र की दुनिया में कर्मचारियों के साथ। यह आज की कलीसियाओं में भी घटने वाला सत्य हैं जो जवान हैं और आर्थिक रीती से समर्थ हैं उनकों प्रसन्न करने में लगे हैं, और बुजुर्गों और शक्तिहीनों को भूल जाते हैं । यह समरण रखें की परमेश्वर हममे से हर एक साथ क्या घाट रहां हैं इस बात का ध्यान रखता हैं, चाहे वह किस पद, क्षमता और आयु का हो।
मेरी प्रार्थना...
सर्वसमर्थी परमेश्वर मैं जनता हूँ की आप ना मुझे कभी त्यागोंगे नाही छोड़ोगे।मैं विश्वास करता हूँ उस वाचा पर की कुछ भी मुझे मसीह यीशु के प्रेम से अलग नाही कर सकता । लेकिन पिता, मैं देखता हूँ की बहुत से बुजुर्ग और भुलाड़िये गए हैं, मैं यह मानता हूँ की मैं भी डरता हूँ की मुझे भी मेरे उन अंतिम दिनों में अकेलेपन और दुर्बलता का सामना करना पड़ेगा। कृपया मुझे हियाव दीजिये की मैं अपनी चिंताए आपके उप्पर दाल दू और आपकी उपस्तिथि पर सम्पूर्णता से भरोसा करूँ । सबसे अधिक पिता , मैं यह प्रार्थना करता हूँ की आपकी महिमा मेरे सरीर से हो चाहे जीवन में या मृत्यु में, सवस्थ में या बीमारी में, और जवानी में या बुजुर्ग आयु में। यीशु के महिमामय नाम से प्रार्थना करता हूँ । अमिन।