आज के वचन पर आत्मचिंतन...
कुछ बाते ज्यादा मूल्यवान है बजाये इसके की जाने येशु , जिस रात उसे धोखा दिया गया, हमारे लिए प्रार्थना करने के विषय में सोचा ! कई बार, हम यहुन्ना १७ को पढ़ते है और उप्पर के कमरे में की गई प्रेरितो के लिए की प्रार्थना के रूप में अभ्यास करते है । लेकिन यदि हम करीब से इस भाग को ध्यान से देखे तो हम देखेंगे की येशु हमारे लिए यानि की हम विश्वासियों के लिए प्रार्थना कर रहे है जो उन पर विश्वास करते है उनके चलो के गवाही के कारन। वह चाहता है की हम एक हो जाये! वह चाहता है की हम उसी एकता, उद्देश्य और परमेश्वर के चरित्र के साथ जीए जिनसे वह जिया था । यदि हम न करे, तो संसार कैसे जानेगा की परमेश्वर ने अपने पुत्र को भेजा था? वे कैसे जानेगें की किस पर विश्वास करना है ? वे कैसे जानेगें की येशु उनका उद्धारकर्ता है ?
Thoughts on Today's Verse...
Few things are more precious than knowing that Jesus, on the night he was betrayed, thought to pray for us! So often, we read the words of John 17 and study them as a prayer for his apostles in the upper room. But if we look closely at this passage, we see that Jesus prays for us, those who believe on him because of the apostles' testimony. He wants us to be one! He wants us to live with the same unity, purpose, and character of God that he did. If we do not, then how will the world know that God sent his Son? How will they know what to believe? How will they find Jesus as their Savior?
मेरी प्रार्थना...
पिता, हमे क्षमा कर और बदल दे और तेरे चेले होने के नाते हमारे जीवन में क्या महत्वपूर्ण है देखने में हमारी मददत कर । जो दीवारे हमे अलग धर्मों के झुण्ड में बाटते है उनको गिरा दे और हमारी मददत कर की हममे चीजों के प्रति एकता हो और उसके प्रति जो अधिक मायने रखता है । येशु के नाम से प्रार्थना करता हूँ । अमिन।
My Prayer...
Father, forgive us and change us and help us see what is most important in our lives as your disciples. Break down the barriers that divide us into different religious groups and help us find unity around the things, and the One, that matter most. In Jesus' name I pray. Amen.